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भवानीसिंह राठौड़@बाड़मेर. नाज होता है हमें बॉर्डर पर हमारी प्रतिदिन की दिवाली पर। चारों ओर जगमग एलईडी लाइट्स। इनकी रोशनी में दूर तक पड़ौसी देश की धरती पर 200 मीटर तक परिंदा भी उड़े तो घनघोर अंधेरी रात में नजर आ जाए। उधर पड़ौसी मुल्क की जमीन पर अंधेरा पसरा है और तारबंदी तक नहीं। जगमग दिवाली पर ये लाइट्स बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर जिले की 1070 किमी भारत-पाक सीमा के बड़े हिस्से को रोशन करेगी।

इस प्रोजेक्ट में 31 हजार 560 लाईट्स लगेगी जो 400 करोड़ से अधिक का कार्य है। भारत-पाक बंटवारा 1947 को हुआ। तारबंदी वर्ष 1992 में की गई। वर्ष 1996 में यहां सोडियम लाइट्स लगाई गई। इन सोडियम लाईट्स के बाद करीब डेढ़ साल पहले एलईडी लाइट्स लगाने का निर्णय किया गया। 800 मेगावाट बिजली की बचत और दूधिया रोशनी के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मंजूरी दी। इसके लिए 7890 पोल बदलने पड़े है। बाड़मेर, जैसलमेर, श्री गंगानगर, बीकानेर में चार चरण में यह कार्य किया जाना था, इसमें से दो चरण में कार्य पूर्ण किया गया है।

भारत ने परेशानियों को जीता
शिफ्टिंग सेंड ड्यून्स, कच्छ का रण और कई बाधाओं को पार करते हुए भारत ने एलईडी लाइट्स लगाने के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया। बाड़मेर में भी दो चरण में कार्य होने के बाद अब आगामी चरण में कार्य आगे बढ़ेगा।

यह बॉर्डर की सीमा
बाड़मेर -228 किमी
जैसलमेर 464 किमी
बीकानेर – 168 किमी
श्रीगंगानगर – 210 किमी
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पाकिस्तान मे नहीं, हमारा कार्य पूर्ण हो जाएगा
पश्चिमी सीमा पर पहले सोडियम लाईट थी,उसकी जगह सम्पूर्ण क्षेत्र में एलईडी लगाई जा रही है। दो चरण में 50 प्रतिशत से अधिक काम हो गया है।सामने पाकिस्तान में ऐसे कोई इंतजाम नहीं है। – गुरुपालसिंह, डीआईजी, बीएसएफ, बाड़मेर

Source: Barmer News

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