जोधपुर. कोरोनाकाल में कइ जनों के पास नौकरियां नहीं है और कई जनों के काम-धंधे ठप्प पड़े हैं। हालात ये हो गए हैं कि अभिभावक स्कूलों की महंगी फीस नहीं दे पा रहे। इस बीच निजी स्कूल संचालकों का बयान है कि बिना फीस वे खुद का व स्टाफ का घर खर्च कैसे चला पाएंगे। उनके स्कूलों में शिक्षक लंबे समय से ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं। कोरोना के हालातों के मद्देनजर पढ़ा रहे हैं। उन्हें देने के लिए भी संस्थान के पास फीस नहीं है। इस अभियान में पत्रिका ने गुरुवार को निजी स्कूल संचालकों की राय जानी और उन्होंने अपनी पीड़ा भी बयां की।
निजी स्कूल संचालकों का कहना…
भूपेश कच्छवाहा ने बताया कि वे 70 प्रतिशत फीस के एग्रीमेंट पर तैयार हैं। यदि कोई विद्यार्थी के अभिभावक आर्थिक रूप से ज्यादा कमजोर हैं तो उनकी वे अलग से भी मदद कर सकते हैं। उसको 60 या 50 प्रतिशत तक छूट दे सकते हैं। एसएन कच्छवाहा ने बताया कि वर्षों पुराना स्टाफ हमारे यहां लगा है। सभी को सैलेरी नहीं दे पा रहे हैं। बैलेंस हो नहीं रहा है। लोन इंस्टॉलमेंट नहीं दे पा रहे हैं। स्कूल संचालन में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। संस्थाओं के पास केवल एक माह व दो माह का सरप्लस रह पाता है। संस्थाएं हैं, स्कूल बिजनैस सेक्टर नहीं है। स्कूल संचालक मुकेश मेहता ने बताया कि फीस नहीं आएगी और कम हो जाएगी तो इसका प्रभाव सभी पर आएगा। हमें सैलेरीज देने में तकलीफ आएगी। बैंकों की किश्ते भर नहीं पा रहे। पैसा आएगा तो सभी को दे पाएंगे। इन हालातों के मद्देनजर टीचर्स सभी ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। ऑनलाइन क्लासेज मर्जी से नहीं चल रही है, ये भी मजबूरी में चला रहे हैं। एक दिन भी ऑनलाइन क्लासेज बंद नहीं हुई है। बच्चों की फीस पर स्कूल चलती है।
Source: Jodhpur