बालेसर (जोधपुर). उपखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा राजकीय सामुदायिक अस्पताल बालेसर में प्रशासनिक एवं विभागीय शिथिलता एवं राजनेताओं की अनदेखी से बालेसर अस्पताल में चिकित्सकों के रिक्त पद होने से व्यवस्था प्रभावित हो रही हैं। वहीं स्वीकृति के बावजूद भी अभी तक ट्रोमा सेंटर नहीं बनने से बालेसर क्षेत्र की जनता को इंतजार करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि बालेसर उपखंड क्षेत्र एवं विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा राजकीय सामुदायिक अस्पताल बालेसर है। भौगोलिक दृष्टि से भी यह अस्पताल मुख्य केंद्र बिंदु है। यहां बालेसर, शेरगढ़, देचू सहित आसपास गांव के सैकड़ों रोगी प्रतिदिन उपचार को आते हैैं। इसके बावजूद विभागीय एवं प्रशासनिक शिथिलता एवं राजनेताओं की अनदेखी से इस अस्पताल का कोई धणी-धोरी नहीं है। अस्पताल में चिकित्सकों के कई पद रिक्त हैं। इससे अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
येे पद हैं रिक्त
बालेसर अस्पताल में चिकित्सकों के कुल 8 पद सृजित हैं। इनमें स्त्री रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ, निश्चेतक विशेषज्ञ के पद लंबे समय से रिक्त हैं। अस्पताल में मात्र 4 चिकित्सक कार्यरत हैं। इनमें शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन कुमार, स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के डॉ. राजेंद्र गर्ग, दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा पंवार एवं पैथोलॉजिस्ट डॉ. मनीषा गर्ग कार्यरत हैं। इनके अलावा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रतापसिंह राठौड़ अपने प्रशासनिक कार्यों के साथ चिकित्सा व्यवस्था को भी संभाल रहे हैं ।
ये हैं प्रतिनियुक्ति पर
अस्पताल में कार्यरत डॉ. आलोक कुमार, डॉ. कविता राजपुरोहित, डॉ. जोगेंद्र सिंह एवं डॉ. रमेश जाखड़ की नियुक्ति बालेसर अस्पताल में होने के बावजूद भी लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर हैं। विडंबना कि इन चिकित्सकों का वेतन बालेसर अस्पताल से उठा रहे हैं। इन चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति रद्द करने के लिए ग्रामीणों की मांग के बावजूद कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं तथा राजनेता भी कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसका खमियाजा क्षेत्र की गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है।
नर्सिंग स्टाफ के पद भी रिक्त
अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ, रेडियोग्राफर, टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, वाहन चालक, कनिष्ठ सहायक सहित कई कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। नाममात्र के कार्यरत कर्मचारियों को जैसे-तैसे करके भी व्यवस्था को संभालना पड़ रहा है। रेडियोग्राफर का पद रिक्त होने से विशेषकर एक्स-रे करवाने में रोगियों को बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं।
ट्रोमा सेंटर का इंतजार
बालेसर अस्पताल में ट्रोमा सेंटर बनाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा में मंजूरी दी थी। लेकिन अभी तक ट्रोमा सेंटर मात्र घोषणा ही बन गया है। बालेसर में ट्रोमा सेंटर स्वीकृत होने की घोषणा से क्षेत्र की जनता में खुशी की लहर फैली थी लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जब भी बालेसर अस्पताल में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना में घायल रोगी आते हैं।
जागरूकता की जरूरत
बालेसर अस्पताल में चिकित्सकों के रिक्त पद भरने एवं ट्रोमा सेंटर शुरू करवाने के लिए बालेसर की जनता को जागरूक होना पड़ेगा तथा विभागीय अधिकारियों एवं राजनेताओं के भरोसे नहीं रह कर स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों को जागरूक होकर अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारने रिक्त पद भरने एवं ट्रोमा सेंटर शुरू करवाने के लिए आगे आना होगा ।
कोविड-19 सेंटर
बालेसर अस्पताल में कोरोना की जांच के लिए कोविड-19 सेंटर बना रखा है लेकिन व्यवस्था के अभाव में स्थानीय कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है तथा अपनी जान जोखिम में डालकर कर्मचारी कोरोना की जांच करते हैं ।
इन्होंने कहा
बालेसर अस्पताल में चिकित्सकों के रिक्त पद भरने एवं प्रतिनियुक्ति रद्द करने के लिए हमने विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखा है । ट्रामा सेंटर के लिए अभी तक कोई कार्यवाही नहीं है इनके लिए सरकार के प्रतिनिधियों को ध्यान देना होगा।
-डॉ. प्रताप सिंह राठौड़, मुख्य ब्लॉक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी।
Source: Jodhpur