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बाड़मेर पत्रिका.
भारत का थार(बाड़मेर-जैसलमेर) और पाकिस्तान का सिंध इलाका दोनों ही इन दिनों कोरोना के कहर में है। इन दोनों इलाकों में रह रहे करीब एक लाख पाक विस्थापित परिवारों क लिए कोरोना की कराह सरहद के उस पार और उस पार दोनों ओर दर्द दे रही है। दिन ब दिन मामले दोनों ओर बढ़ रहे है और अपनों के बीमार होने और कोरोना से दुनियां छोड़कर जाने की खबर आते ही उनके कलेजे कांप रहे है। पाक विस्थापित परिवारों की मजबूरी यह भी है कि कोरोना काल में आने-जाने का वीजा भी नहीं मिल रहा है,लिहाजा उनके लिए सब्र करने के सिवाय कुछ नहीं है।
खारोड़ा पाकिस्तान से आए तेजदान देथा के बुजुर्ग माता-पिता पाकिस्तान में है। तीन भाई और उनका परिवार भी वहां है। उनकी बहिनें-बुआ और अन्य रिश्तेदारों के साथ वे यहां है। तेजदान कहते है कि दोनों ओर परिवार में बुखार-खांसी और कोरोना के समाचार अब अंदर से हिला जाते है। यह बीमारी ऐसी है कि इसके बारे में दवा भी नहीं है। बस दोनों ओर से दुआ करते है कि परिवार के लोग सलामत रहे। देताणी के शेर मोहम्मद के परिवार के सदस्य भी पाकिस्तान के सिंध इलाके में रहते है। शेर मोहम्मद कहते है कि वे उनके सहरदी गांव से बीस किमी की दूरी पर ही है लेकिन मुल्क अलग होने से इतने दूर है कि वे उनकी खैर-खबर केवल फोन पर ले पा रहे है। कोरोना का दौर बड़ा विकट है। यहां तो फिर भी लोगों को बीमारी में इलाज मिल रहा है,वहां तो 50-50 किमी दूरी पर कोई अस्पताल नहीं है। पाकिस्तान से लौट आए मेघवाल परिवार के विजय कहते है कि उनके परिवार के पचास से अधिक सदस्य सिंध इलाके में है। वहां पर सड़क-पानी-बिजली का संकट पहले से ही था लेकिन अब कोरोना के दर्द ने उनको और पीड़ा में डाल दिया है। ऐसे में वे अपने परिवार के लोगों की मदद नहीं कर पा रहे है।
पाकिस्तान में हो रहा भेदभाव
पाकिस्तान के सिंध इलाके सहित अन्यत्र अल्पसंख्यक यानि हिन्दुओं पर पहले से ही अत्याचार हो रहा था, अब कोरोना के काल में उनको दवा और मदद भी पूरी नहीं मिल पा रही है। हिन्दुओं की बेटियों के अपहरण की घटनाओं से त्रस्त हो चुके परिवारों को अब बीमारी में इलाज के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है।
सुविधाएं नहीं होना बड़ा कारण
पश्चिमी सीमा से लगते सिंध इलाके के मिठी, थारपारकर, छाछरो इलाके के गांवों में आज भी बिजली, पानी, सड़क का अभाव है। 50 से 100 किमी दूरी तक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है। सड़कें भी पंद्रह से बीस किमी दूरी पर होने से आवागमन के साधनों का भी अभाव है। इस इलाके का विकास नहीं होने से अब लोगों को कोरोना के समय में भी दवा नहीं मिल रही है। – डा. बाबूदान, अध्यक्ष ढाटपारकार सोसायटी
इधर अंतिम गांव तक मदद
इधर हिन्दुस्तान में अंतिम गांव तक मदद है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व एएनएम के अलावा यहां बीएसएफ भी सरहदी गांवों में उपचार के लिए लगातार मदद कर रही है। ऐसे में यहां पर लोगों को इतना संकट नहीं है, चिंता उस तरफ के लोगों की है।- तेजदान चारण पाक विस्थापित
बेबस है, दुआ करते है
बेबसी हम लिखाकर लाए है। दोनों मुल्कों में तनाव होने पर या हारी-बीमारी हमे ंतो अपनों की फिक्र होती है। कोरोना में भी यही हाल है। उधर से कहते है अपना ध्यान रखना और इधर से हम भी यही कहते है। बस इसके अलावा क्या कर सकते है?- घनश्याम माली, पाक विस्थापित

Source: Barmer News

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