बाड़मेर-अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बाड़मेर जिले की अधिकांश आबादी गांव और ढाणियों में निवास कर रही है जिनका आजीविका का प्रमुख साधन कृषि व पशुपालन ही है ऐसे में गांव और ढाणियों में रहने वाले ग्रामीण भोजन सामग्री में भी देसी वस्तुओं को ही काम में लेते हैं यहां के ग्रामीणों का मुख्य खाद्यान्न बाजरा है जो खेतों में ऊपर जो होता है साथ ही पशु पालन से पशुओं से दूध प्राप्त होता है जिससे अनेक उत्पाद तैयार किए जाते हैं जिनका रसोई में उपयोग किया जाता है सब्जी के रूप में यहां केर ,सांगरी, चापटिया,ग्वारफली के साथ ही खेती से उत्पन्न होने वाले दाल को ही काम में लेते हैं।
मरुस्थल की सूखी सब्जियां बाजारों में 1000 से 1500 रूपये किलो के भाव से बिकती है वही बड़े-बड़े रेस्टोरेंट व होटलों में भी इन सब्जियों की डिमांड रहती है। सूखी सब्जियां से ग्रामीणों को दोहरा लाभ होता है एक तो यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है वही इसके लिए किसानों व ग्रामीणों को राशि खर्च नहीं करनी पड़ती है।
बाजरे की रोटी- देसी बाजरे की रोटी बनवाने के लिए आटे को किसी चौड़े बर्तन में छान कर गुनगुने पानी की सहायता से आटे को गूंथकर, आटे से एक रोटी के हिसाब से आटे को हाथ से मसल कर मुलायम करें, नरम आटे से एक रोटी का आटा निकालकर, गोल लोई बनाकर, हथेलियों से बड़ा करने के लिए हथेलियों पर थोड़ा सा पानी लगाकर, लोई को दोनों हाथों की हथेलियों की सहायता से 5-6 इंच के व्यास में बड़ा करना पड़ता है, रोटी तैयार होने पर गरम तवे पर डालनी पड़ती हैं , एक तरफ सिकने के बाद पलटे से पलटकर दुसरी ओर सेकनी होती है। बाजरे की
गरमा गरम रोटी पर घी या मक्खन के साथ ही अन्य सब्जियों के साथ सेवन करने पर बहुत अच्छा लगता है।
सर्दियों में बाजरे की रोटी खाने के सेहत लाभ
ऊर्जा से भरपूर होती है ,बाजरे में स्टार्च सबसे अधिक होता है। बाजरा खाने से शरीर को ऊर्जा की प्राप्ती होती है। बाजरा खाने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है। बाजरे में नियासिन विटामिन होता है, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है। बाजरे में मैग्नीशियम और पोटैशियम अधिक होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखता है।बाजरे में अघुलनशील फाइबर होता है। ये फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है। बाजरे की रोटी खाने से आपको कब्ज, अपच की समस्या नहीं होगी।सर्दी के मौसम में बाजरे से बने व्यंजन खाने के कई सेहत लाभ होते हैं।
बाजरा खाने से शरीर गर्म रहता है , जिससे सर्दी के दिनों शरीर को अदंर से गर्म रखने के लिए भी बाजरे का सेवन बेहतर माना गया है।
मक्खन के फायदे -किसानों द्वारा खेती के साथ पशु पालन का भी कार्य किया जाता है जिससे प्राप्त दूध से विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद मक्खन है कई गांव और ढाणियों में आज भी महिलाओं द्वारा सुबह दही से बिलौने के माध्यम से मक्खन प्राप्त किया जाता है वही जहां बिजली की सुविधा उपलब्ध है वहां अब मशीनों के माध्यम से मक्खन प्राप्त करने का कार्य किया जाता है।
फायदे-आयुर्वेद के अनुसार दही से निकाला गया मक्खन चिकनाई से भरा मधुर स्वाद युक्त होता है। यह मक्खन कई गुणों से भरपूर होता है। मक्खन के सेवन से वात और पित्त को संतुलित करता है,पाचक अग्नि को बढ़ाता है जिससे अपच, एसिडिटी से बचाव होता है। इम्युनिटी और शारीरिक शक्ति भी मजबूत होती है।डायरिया और पेचिश में फायदेमंद ,आयुर्वेद के अनुसार मक्खन संग्राही होता है, इसमें पानी को सोखने वाले गुण होते हैं। इसी क्षमता की वजह से यह दस्त और अतिसार जैसे रोगों में फायदेमंद होता है।
कैर- सांगरी की सब्जी- राजस्थान की प्रसिद्ध चटपटी सब्जी में केर सांगरी की सब्जी का महत्वपूर्ण स्थान है। विभिन्न रेस्टोरेंट व होटलों में बाहर से आने वाले सैलानियों द्वारा इसकी मांग जरूर की जाती है ।
आवश्यक सामग्री-सांगरी, कैर,तेल,हरा धनियां,जीरा,
हींग, लाल मिर्च पाउडर,साबुत लाल ,मिर्च हल्दी पाउडर,गरम मसाला,नमक,धनियां पाउडर,अमचूर पाउडर,राई।
विधि -केर और सांगरी बाजार में सूखे हुए मिलते हैं इनको अच्छी तरह साफ करके, 4-5 बार अच्छी तरह पानी से धोने के बाद, कुछ समय तक अलग- अलग करके पानी में भिगोना होगा, भीगे हुए केर व सांगरी को उबालकर सब्जी बनाई जाती है , कढ़ाई में तेल डालकर मीडियम आंच में गरम होने पर कढ़ाई में हींग और जीरा डाल भूनने के बाद, जीरे के चटकते ही इसमें हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, साबुत लाल मिर्च डाल कर मसाले को थोड़ा सा भूनना होगा.उसके बाद उबले हुए केर सांगरी डालकर ऊपर से लाल मिर्च पाउडर, अमचूर पाउडर, गरम मसाला, नमक और किशमिश डालकर 5-7 मिनट तक पकाना होगा।
रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत-सांगरी इम्युनिटी बढ़ाने के साथ रक्तसंचार दुरुस्त करती है। इसमें मौजूद विटामिन-डी हड्डियां मजबूत करता है। यह शरीर के सुस्त नाड़ी तंतुओं को सक्रिय करने का काम करती है।
Source: Barmer News