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बाड़मेर. बाड़मेर जिले का जैसे ही नाम आता है वैसे ही मानस पर रेगिस्तान का ख्याल आता है, अन्य जिलों के लोग आज भी यह सोचते है कि कृषि के क्षेत्र में बाड़मेर आज भी पिछड़ा हुआ है। थार रेगिस्तान में जहां पानी की एक-एक बूंद को लोग तरसते रहे और मीलों तक पेड़-पौधे नजर नहीं आते थे, लेकिन यहां के किसानों तथा कृषि वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से बाड़मेर का नाम अब राजस्थान में अनार, खजूर, जीरा, ईसबगोल गुणवत्तायुक्त उत्पादन में अपना अलग स्थान रखता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र श्योर दांता बाड़मेर द्वारा आयोजित 25वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला कलक्टर विश्राम मीणा ने कहा कि केवीके जिले में पशुपालन, बागवानी, फसलोत्पादन व मूल्य संवर्धन तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने का अच्छा कार्य कर रहा है। किसानों को काफी फायदा मिल रहा है।
सब्सिडी का प्रचार-प्रसार करें
बैठक में आत्मा परियोजना निदेशक किशोरीलाल वर्मा ने कहा कि जिले में आईएफएस मॉडल की तर्ज पर कार्य किया जाए, जिससे कृषि के क्षेत्र में और प्रगति हो सकती है। विभाग की ओर से मिलने वाली सब्सिडी को लेकर किसानों तक ज्यादा से ज्यादा प्रचार करना होगा। श्योर उपाध्यक्ष रिखबदास मालू ने कहा कि केन्द्र किसानों के हित में सदैव तत्पर रहता है।
महिलाओं अर्जित कर रही अतिरिक्त आय
श्योर की संयुक्त सचिव लता कच्छवाह ने कहा कि केन्द्र पर महिलाओं को लेकर विभिन्न आय अर्जित करने की तकनीक को उनके घर तक पहुंचा रहा है। जिससे यहां की महिलाएं अतिरिक्त आय प्राप्त कर रही है। इस अवसर पर केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉॅ. विनय कुमार ने केन्द्र की 2019 व 2020 का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक पशुपालन डॉॅ. रतनलाल, उपनिदेशक कृषि वीरेन्द्रसिंह, लोकस्ट विभाग के प्रदीप कुमार, प्रगतिशील कृषक मोहनसिंह, महेन्द्रसिंह, पप्पूदेवी, सुशिया आदि ने भी अपने सुझाव बताए।

Source: Barmer News

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