Posted on

-नंदकिशोर सारस्वत

जोधपुर. प्रदेश के वनकर्मियों की कार्यक्षमता का विकसित करने के लिए वन विभाग की ओर से जोधपुर में न्यू पाली रोड पर संचालित मरु वन प्रशिक्षण केन्द्र को स्वतंत्र कार्यालय बनाने के आदेश तो हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स ने जारी कर दिया लेकिन पहले ही लंबे अर्से से स्टाफ की कमी से जूझ रहे वन विभाग के प्रशिक्षण केन्द्र के लिए 25 नए पद ‘कोढ़ में खाजÓ साबित हो रहे है। प्रशिक्षण केन्द्र में ना तो प्रमुख अधिकारी उपवन संरक्षक नियुक्त है और ना ही पर्याप्त स्टाफ मौजूद है। करीब 43 वर्ष पूर्व 1978 में बने मरु वन प्रशिक्षण केंद्र 31 दिसम्बर 2020 तक जोधपुर डीएफओ कार्यालय के अधीन संचालित किया जाता रहा है।

जयपुर के एसीएफ देंगे जोधपुर में वनकर्मियों को प्रशिक्षण

हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स की ओर से प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रुति शर्मा की ओर से प्रशिक्षण केन्द्र को स्वतंत्र व पुनर्गठन आदेश के तहत केन्द्र में अब उपवन संरक्षक, सहायक वन संरक्षक 3, रेंजर ग्रेड-प्रथम 1, रेंजर ग्रेड सेकेन्ड-2, वनपाल-3, सहायक वन पाल-3, वन रक्षक-6 सहित कुल 25 पद स्वीकृत किए गए है। हालात यह है कि वन विभाग में जिले के डीएफओ और सहायक वन संरक्षक सहित प्रशिक्षण केन्द्र में उपवन संरक्षक, सहायक वन संरक्षक सहित करीब 15 पद रिक्त है। वर्तमान में जयपुर के एसीएफ को मरु वानिकी प्रशिक्षण केन्द्र जोधपुर का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया है। जबकि कोरोना महामारी के चलते समस्त प्रशिक्षण राज्य सरकार एवं उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार स्थगित हैं। डिजिटल फॉरेस्ट लर्निंग के माध्यम से ऑनलाइन, वन एवं वन्य जीवों के संबंध में वनकर्मियों को पहले ही सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।

स्टाफ 25 का, परिणाम शून्य

प्रशिक्षण केन्द्र में वनकर्मियों को वनों पर बढ़ते दबाव का सफलतापूर्वक सामना करने, नई सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी तथा वैज्ञानिक दृष्टि से वन प्रबन्धन का प्रशिक्षण दिया जाता है जिसका परिणाम आज तक कभी फील्ड में नजर नहीं आया है। विशेष बात यह है कि प्रशिक्षण केन्द्र में वनकर्मियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण का मूल्यांकन भी प्रशिक्षण देने वाले वन अधिकारी खुद ही तय करते है।

Source: Jodhpur

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *