जोधपुर . वर्ष 1870 तक जोधपुर शहर में जलापूर्ति का साधन आस पास की पहाडिय़ां ही थी, जहां से पानी बहकर शहर के छोटे -2 जलाशयों में एकत्रित होता था । वर्ष 1883-85 में गुलाब सागर , फतेहसागर और प्रताप सागर (कायलाना)को बालसमंद से नहरों के माध्यम से जोड़ा गया परन्तु जोधपुर में प्रारम्भ से ही पानी की कमी महसूस की जाती थी । जोधपुर में अकाल की छाया ही मंडराती रहती थी । उस समय उपलब्ध जलाशयों में कभी – कभी अच्छी वर्षा होने पर भी इनमें प्रर्याप्त मात्रा में जल नहीं पहुंच पाता था । महाराजा उम्मेदसिंह ने इस समस्या की ओर पूर्णध्यान दिया ।
महाराजा उम्मेद सिंह अपनी प्रजा में प्रति व्यक्ति 10 गैलन पानी वितरण करने की इच्छा रखते थे । वर्ष 1939 तक उम्मेदसिंह के कार्यकाल में कायलाना फीडर चैनल में सुधार किया गया। उम्मेद सागर बान्ध की पश्चिम और पूर्व की नहर को पूरा किया गया और सुमेर समंद नहर पर पम्पिंग स्टेशन तथा नए जल कुण्डों का निर्माण किया गया । इन सब प्रयासों से पानी के वितरण में वृद्धि हुई, परन्तु महाराजा ने पानी के वितरण को और अधिक सन्तोषजनक बनाने के लिये दो लाख ग्यारह हजार नौ सौ बयासी रुपये की एक नई योजना का निर्माण किया था।
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