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जोधपुर। चिकित्सा शिक्षा के इच्छुक छात्रों को बड़ी राहत देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी चिकित्सा कॉलेजों तथा राज्य सरकार के चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा संस्थानों द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले छात्रों से एक वर्ष के वार्षिक शुल्क के अतिरिक्त साढ़े तीन साल की फीस के एवज में ली जा रही बैंक गारंटी या अग्रिम शुल्क को अवैध घोषित कर दिया है।

वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा तथा न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता दीपेश सिंह बेनीवाल द्वारा दायर जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए निजी संस्थानों और राज्य सरकार द्वारा संचालित संस्थानों को पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले किसी भी छात्र से एक वर्ष के लिए शुल्क के अतिरिक्त अग्रिम शुल्क के रूप में किसी भी राशि की वसूली करने से रोक दिया दिया है। निजी संस्थानों और राज्य सरकार को निर्देश गया है कि वे प्रत्येक छात्र से पाठ्यक्रम की पूरी अवधि के लिए शुल्क के लिए बैंक गारंटी प्रस्तुत करने पर जोर न दें। हालांकि निजी चिकित्सा संस्थान इस्लामिक अकादमी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप किसी विशेष छात्र से बांड/बैंक गारंटी मांगने के लिए स्वतंत्र होंगे, इसके अन्यथा नहीं। इस्लामिक अकादमी के मामले में शीर्ष कोर्ट ने ऐसे मामलों में छूट दी थी, जहां संस्थान को किसी छात्र के बीच सत्र में कोर्स छोडऩे का अंदेशा हो। खंडपीठ ने कहा कि किसी भी निजी संस्थान द्वारा मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले छात्रों से पहले ही वसूल किए गए एक वर्ष के शुल्क के अतिरिक्त अग्रिम शुल्क को एक राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा में रखा जाएगा, जिसके लिए कोई ऋण या अग्रिम नहीं दिया जा सकेगा। पूर्वोक्त रूप में जमा किए गए अग्रिम शुल्क पर राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा सावधि जमा पर स्वीकार्य ब्याज दर के बराबर ब्याज लगेगा। पहले से अर्जित ब्याज और अग्रिम शुल्क की राशि पर भविष्य के ब्याज का भुगतान उन छात्रों को किया जाएगा जिनसे प्रवेश के समय अग्रिम शुल्क लिया गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को पूर्व में जारी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को एक साल की ट्यूशन फीस लेने के बाद शेष साढ़े तीन साल की फीस के लिए बैंक गारंटी लेने की छूट दे रखी है। बैंक गारंटी नहीं देने पर उसके बदले में कॉलेज एक या उससे ज्यादा वर्ष की अग्रिम फीस वसूल रहे हैं। पिछले साल 17 दिसंबर को हाईकोर्ट ने बैंक गारंटी पर अंतरिम रोक लगा दी थी, लेकिन कॉलेजों को बैंक गारंटी के बदले साढ़े 3 साल के शुल्क का बांड प्रस्तुत करने के लिए छात्रों को निर्देशित करने की स्वतंत्रता दी थी। निजी कॉलेजों ने अंतरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर एक बार 24 दिसंबर को रोक लगा दी गई थी, लेकिन 4 जनवरी को विशेष अनुमति याचिका इस निर्देश के साथ निस्तारित कर दी गई कि हाईकोर्ट मुख्य याचिका का एक सप्ताह में निस्तारण करेगा।

फैसले से कैसे मिलेगी राहत
याचिका के अनुसार राजस्थान राज्य में 1290 छात्रों की प्रवेश क्षमता वाले आठ निजी चिकित्सा संस्थान न्यूनतम वार्षिक शिक्षण शुल्क के रूप में 15 लाख रुपए प्रति वर्ष वसूल कर रहे हैं और इस प्रकार, एक परिजन को साढ़े तीन साल की अवधि के लिए न्यूनतम बैंक गारंटी 52.50 लाख रुपए जमा करने की आवश्यकता रहती है। बैंक द्वारा इस राशि पर जो अग्रिम कमीशन लिया जाता है, वह 4,59,375 रुपए बैठता है (बैंक गारंटी राशि का 2.5 प्रतिशत की गणना)। एक साथ इतनी राशि का इंतजाम के परिजन के लिए आसान नहीं था।

Source: Jodhpur

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