जोधपुर. बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए बोन मैरो डोनर का होना जरूरी होता है। कई जनों को सही मिलान वाला बोन मैरो उपलब्ध नहीं हो पाता। दुनियाभर में मरीजों के लिए स्थिति गंभीर है, क्योंकि करीब 3 करोड़ लोग बोन मैरो पाने की प्रतीक्षा सूची में हैं। 40 प्रतिशत मरीजों को मैचिंग का डोनर नहीं मिलने से काफ ी परेशानी झेलनी पड़ती है। भारत में एक लाख बोन मैरो डोनर की जरूरत है। वहीं जोधपुर में हर साल २५-३० मरीजों को बोन मैरा डोनर की जरूरत रहती है।
हर साल २५-३० मामले मिल रहे
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के क्लिनिकल हेमेटोलॉजी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. गोविंदराम पटेल ने बताया कि विश्व मैरो डोनर दिवस को हर साल सितम्बर के तीसरे शनिवार को मनाया जाता है। जोधपुर में अप्लास्टिक एनिमिया, थैलेसेमिया व ब्लड कैंसर के करीब २५-३० मामले सामने आते हैं। जिन्हें बोन मैरो की जरूरत रहती है। कई जने बोन मैरो के अभाव में गंभीर होकर बच नहीं पाते। यह साधारण सा काम रक्त संबंधी कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोगों का जीवन बचा सकता है। दाताओं की संख्या जितनी ज्यादा होगी, उतनी ही ज्यादा जानें बचाई जा सकेगी।
जानिए बोन मैरो क्या होता है
बोन मैरो यानि अस्थि मज्जा हमारे शरीर की मुख्य हड्डियों के बीच में एक मुलायम व स्पांजी टिश्यू होता। इसमें रक्त बनाने वाली अपरिपक्व कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें स्टेम सेल्स कहते हैं। स्टेम ऐल्स लाल रक्त कोशिकाओं (जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाती है), सफेद रक्त कोशिकाओं (जो संक्रमण से लड़ती है) और प्लेटलेट्स (जो ब्लड क्लॉटिंग में मदद करती है) में विकसित होती है।
जानिए क्या हैं इसका ट्रांसप्लांट
बोन मैरो ट्रांसप्लांट जिसे स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है, एक ऐसी मेडिकल प्रक्रिया है जिसमें रोगी का खराब बोन मेरो कीमोथेरेपी देकर नष्ट कर दिया जाता है तथा इसकी जगह डोनर का स्वस्थ बोन मैरो रोगी के शरीर के अन्दर ट्रांसफ्यूज किया जाता है। जिसके बाद रोगी के शरीर में बीमारी रहित नया एवं स्वस्थ खून बनने लगता है और बीमारी जड़ से चली जाती है।
इसलिए होती हैं डोनर की जरूरत
रक्त कैंसर, थैलेसीमिया, स्किल सेल एनीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया, रक्त संबंधी अन्य गंभीर बीमारियों सहित विभिन्न आनुवांशिक व जेनेटिक बीमारियों को जड़ से मिटाने में बोन मैरो ट्रांसप्लांट सबसे कारगर इलाज होता है। ये बीमारिया अक्सर जानलेवा हो जाती है। स्टेम सेल के लिए पारिवारिक सदस्यों का स्टेम सेल जीन मैच करने की संभावना बहुत कम होती है। दस हजार से लेकर 10 लाख लोगों में एक व्यक्ति का स्टेम सेल जीन भी मैच करता है। अत: इसके लिए बोन मैरो डोनर का पंजीकरण जरूरी है, ताकि जरूरत के समय डोनर आसानी से मिल जाए।
कौन कर सकता है बोन मैरो डोनेट
18 से 50 वर्षीय स्वस्थ व्यक्ति बोन मैरो डोनेट कर सकता है। मैरो डोनेट करने वाला व्यक्ति हृदय, लीवर, किडनी, कैंसर, डायबिटीज, एड्स सहित कोई भी गम्भीर बीमारी से पीडि़त नहीं होना चाहिए।
होता हैं डोनेशन
डोनर दो तरीके से बोन मैरो अथवा स्टेम सेल दान कर सकता है। पहली विधि के तहत डोनर के पेल्विक बोन से एक स्पेशल सुई व सीरिंज के जरिए बोन मैरो निकाला जाता है। इसमें लगभग एक घंटे का समय लगता है और डोनर को अस्पताल में एक रात आराम करना पड़ता है। डोनर को एनिस्थिसिया दिया जाता है। अगले कुछ सप्ताह में डोनर के शरीर में प्राकृतिक तौर पर बोन मेरा स्वत: विकसित हो जाता है। दूसरी विधि के तहत कुछ दवाइयां देकर डोनर के ब्लड में स्टेम सेल्स की मात्रा को बढ़ाया जाता है। इसके 4-5 दिन बाद डोनर के ब्लड से स्टेम सेल्स निकाल लिया जाता है। स्टेम सेल्स को एफेरेसिस मशीन (जिसका उपयोग प्लेटलेट्स को इक्टठा करने के लिए भी किया जाता है।) से एकत्र किया जाता है। संग्रह के लिए 3-4 घंटे लगते है। बाद में दानदाता साामन्य जीवन जी सकता है।
Source: Jodhpur