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जोधपुर. लुप्त होने के कगार पर राजस्थान के राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड गोडावण को अपना वजूद बचाने के लिए अब हिंसक श्वानों का सामना करना पड़ रहा है। चार दशक से गोडावण की संख्या में निरन्तर कमी के चलते संख्या घटकर अब दो अंकों तक जा पहुंची हैं। निरंतर बढ़ते जैविक दबाव और मानवीय हलचल से गोडावण के भोजन का प्रमुख आधार भी निरंतर समाप्त हो रहा है। एेसे में हिंसक श्वानों की बढ़ती तादाद गोडावण के वजूद के लिए नया खतरा बनकर उभर चुकी है।

श्वानों से सुरक्षित नहीं मेहमान परिन्दे
प्रतिवर्ष सर्वाधिक चिंकारे-काले हरिणों को घायल करने वाले हिंसक श्वान शीतकालीन प्रवासी मेहमान पक्षी कुरजां को भी अपना निशाना बना रहे है। हर साल शीतकाल में मारवाड़ सहित जोधपुर जिले के खींचन में आने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां के पड़ाव स्थलों पर श्वानों के हमलों में निरंतर बढ़ोतरी के बावजूद वनविभाग की ओर से रोकथाम के उपाय तक शुरू नहीं हो पाए है। गोडावण के क्लोजर क्षेत्र में भी श्वानों के समूह घुसपैठ कर जमीन पर गोडावण के अंडों को नुकसान पहुंचाते है। थार में पाई जाने वाली सैकड़ों दुलर्भ प्रजातियों के वन्यजीवों की संख्या में गिरावट का कारण भी वन्यजीव विशेषज्ञ हिंसक श्वानों के बढ़ते हमलों को ही मानते है। गोडावण सहित प्रवासी पक्षी कुरजां के पड़ाव स्थलों के आस पास ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान के लिए भी वनविभाग ने अभी तक कोई प्रयास शुरू नहीं किए है।

गोडावण फेक्ट फाइल
-जमीन से २० से २५ फीट ऊंचाई तक अधिकतम एक किमी तक उड़ान भरने की क्षमता रखने वाला शर्मीला पक्षी है।
-लंबी पतली सफेद गर्दन सिर पर काला क्राउन तथा औसतन १० किलो वजनी नर गोडावण १२० व मादा ९० सेमी ऊंची होती हैं।
– इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की रेड डाटा बुक में शामिल लुप्त प्राय: दुर्लभ पक्षी के पैरों में केवल तीन अंगुलियां होने से यह पेड़ों की टहनी पर नहीं बैठ सकता है।
-भारतीय पक्षियों में सबसे ऊंचा पक्षी गोडावण जमीन पर अंडे देने के करण सरिसृप का भोजन बनने और पालतू मवेशियों के पैरों तले अंडों के कुचले जाने से भी इनकी संख्या में बढ़ोतरी न होना प्रमुख कारण माना जाता है।
-भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों की टीम ने सम में गोडावण के कृत्रिम प्रजनन और संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही है।

श्वानों का बधियाकरण अभियान
हमने वन्यजीवों को बचाने के लिए डेजर्ट नेशनल पार्क एरिया में हिंसक श्वानों का बधियाकरण अभियान शुरू किया है। गोडावण के क्लोजर के बाहर के गांवों में हिंसक श्वानों को पकडक़र जोधपुर के शेल्टर हाउस में भेजा जा रहा है। अब तक ५० श्वानों को भेजा जा चुका है। गोडावण, चिंकारे विचरण वाले क्षेत्र के ग्रामीणों में भी जागरूकता अभियान शुरू किया गया है।

कपिल चन्द्रावल, उपवन संरक्षक, डेजर्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर
बारिश का मौसम जानलेवा
बारिश के मौसम में चिंकारा और काले हरिण ज्यादा शिकार बनते है। थार के पोकरण, धौलिया, खेतालाई, लौहारकी आदि क्षेत्रों में विचरण करने वाले वन्यजीवों पर श्वान समूह के रूप में हमला करने लगे है। श्वानों की बढ़ती संख्या और खेतों की तारबंदी से थार के वन्यजीवों में बड़ा असंतुलन पैदा हो सकता है। यदि सरकार व वनविभाग ने श्वानों की संख्या पर नियंत्रण नहीं किया तो कई दुर्लभ वन्यजीव खत्म हो जाएंगे।
– राधेश्याम बिश्नोई , जिलाध्यक्ष, अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा, जैसलमेर

Source: Jodhpur

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