बाड़मेर पत्रिका.
बाड़मेर पत्रिका संस्करण ने वर्ष 2021 में आम आदमी की आवाज बनने की मिसाल पेश की। कोरोनाकाल में मददगार बनने के साथ ही पत्रिका ने प्रशासन को सचेत करते हुए बीमार तक इलाज पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए तो सालभर तक समाचारों और अभियान चलाकर जनहित के कार्यों की मसाल बना।
1. तिलवाड़ा मेला सिरमौर….(खबरों की क्लिप और फोटो जाएंगे)
2 मार्च 2021 को बाड़मेर जिला कलक्टर ने राज्य प्रसिद्ध तिलवाड़ा पशुमेले क आयोजन रद्द कर दिया। इस समय कोरोना की दूसरी लहर कहीं पर नहीं थी और नागौर में पशुमेला और जैसलमेर में मरू महोत्सव का आयोजन हो चुका था। पत्रिका ने पशुपालकों, किसानों और लोगों की आम आवाज को मुखर करते हुए 3 मार्च से ही अभियान प्रारंभ कर दिया कि जब नागौर और जैसलमेर के लिए हां है तो तिलवाड़ा के लिए ना कैसे? 3 से 8 मार्च तक लगातार चले समाचारों में हजारों पाठक पत्रिका के साथ जुड़ गए और यह आवाज बुलंद हुई कि तिलवाड़ा मेले का आयोजना होना चाहिए। 9 मार्च को राजस्थान पत्रिका के प्रबंध संपादक गुलाब कोठारी के अग्रलेख तिलवाड़ा सिरमौर ने राज्य सरकार को झकझोर दिया। सरकार जागी और इसी दिन शाम को आदेश किया गया कि तिलवाड़ा मेले का आयोजन किया जाएगा और जिला कलक्टर को इसके लिए आदेश जारी कर दिए गए। मेले का आयोजन सकुशल हुआ। मेले में 2 करो 27 लाख के पशुधन की बिक्री हुई।
2. ललित को मिला उपचार
बाड़मेर शहर के ललित सोनी दुर्लभ पोम्पेरोग से ग्रसित है। ललित के उपचार को सालाना 2 करोड़ 69 लाख रुपए की जरूरत है और उसके बड़े भाई की मौत भी इसी रोग से हुई। परिजनों के लिए इतना महंगा उपचार करवाना मुश्किल था। पत्रिका ने मानवीय संवेदना के इस मुद्दे को उठाया तो पाठकों का बड़ा वर्ग ललित के साथ खड़ा हो गया और उसके उपचार के लिए मदद का सिलसिला यों चला कि 50 लाख रुपए एकत्रित करके परिजनों को दे दिए गए। ललित का उपचार जोधपुर एम्स में प्रारंभ हो गया। केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने ललित के लिए केन्द्र सरकार तक प्रयास प्रारंभ किए और उन्होंने दिल्ली में अपने आवास पर ललित को रखकर पूरी जांच करवाई। ललित की मदद का सिलसिला अब तक अनवरत जारी है। पत्रिका इस मुद्दे की चहूंओर तारीफ हुई।
3. पाकिस्तान से तीन बहूएंं आई भारत
पुलवामा में आतंकी हमले और एयर स्ट्राइक बाद भारत पाकिस्तान में तनाव हो गया। भारत-पाक के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस को बंद कर दिया गया। बाड़मेर-जैसलमेर सरहदी जिले है जिनकी सीमा के उस पर भी रिश्तेदारियां है और पाक विस्थापित परिवार रोटी-बेटी के रिश्ते से जुड़े है। जैसलमेर जिले के बहिया गांव के विक्रमसिंह और उसके भाई नेपालसिंह और बाड़मेर के गिराब गांव के महेन्द्रसिंह की शादी भी इन दिनों में पाकिस्तान में हुई। पाकिस्तान ने तीनों बहूओं को वीजा देने से इंकार कर दिया। दूल्हे लौट आए कि वापिस रिश्ते ठीक होंगे तो बात बनेगी। पत्रिका ने मानवीय संवेदना से जुड़े इस समाचार को उठाते हुए ला दो इनके चांद रह गए पाकिस्तान शीर्षक से समाचार प्रकाशित किए,इसके बाद में इस मामले की राज्य व केन्द्र स्तर पर पैरवी हुई। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने तीनों बहूओं के वीजा जारी करने के लिए पाकिस्तान को लिखा। 8 मार्च 2021 को महिला दिवस पर दो बहूओं की वतन वापसी हुई तो 10 सितंबर 2021 की एक बहू भारत पहुंची।
भागचंद को भेजा पाकिस्तान
बाड़मेर के किशोर संप्रेषण गृह में एक पाकिस्तानी किशोर बंद था। पाकिस्तान के गुलामनवी खिपरो का यह किशोर 9 सितंबर 2019 को तारबंदी लांघकर भारत आ गया था और बीएसएफ ने पूछताछ बाद इसको पुलिस को सांैप दिया। भूलवश भारत आए इस किशोर को तारबंदी लांघने की वजह से सजा हो गई,27 सितंबर 2019 को किशोर संप्रेषण गृह में बंद कर दिया। 2 जुलाई 2021 को इसकी सजा तो पूरी हो गई लेकिन पाकिस्तानी होने की वजह से रिहा नहीं किया गया। यह किशोर यहां किशोर संप्रेषण गृह में ही बंद रहा। पत्रिका ने इस समाचार को अभियान के रूप में सामने लाया और पैरवी की कि भारत में इस किशोर की कोई पैरवी नहीं कर रहा है और यह किशोर सजा समाप्त होने के बाद भी सजा काट रहा है। पत्रिका में समाचार श्रृंखला प्रकाशित होने के बाद में इस मामले में केन्द्र व राज्य सरकार के स्तर पर पैरवी हुई और भागचंद को 28 अगस्त को पाकिस्तान भेज दिया गया। एक पाकिस्तानी किशोर को पत्रिका के कारण वतन वापसी नसीब हुई।
5. गेमराराम की आवाज बना हुआ है पत्रिकाबाड़मेर का किशोर गेमराराम 5 नवंबर 2020 को तारबंदी लांघकर पाकिस्तान चला गया। तारबंदी लांघने के बाद बीएसएफ ने इस मामले को दबा दिया, पुलिस ने भी पर्दा डाले रखा। पत्रिका ने इस मामले को सामने लाया और बताया कि एक किशोर तारबंदी लांघ गया है। इसके बाद दोनों ने स्वीकार कर लिया। पत्रिका ने इस किशोर की वतन वापसी के लिए अभियान प्रारंभ कर दिया और इस मामले में अब भारत सरकार की ओर सारे दस्तावेज भेज दिए गए और लगातार पैरवी हो रही है। संसद में भी इस मामले को उठाया गया है। भागंचद की वतन वापसी बाद उम्मीद जगी हुई है कि गेमराराम भी अब भारत लौटेगा और पत्रिका इसको लगातार हर मंच पर सामने ला रही है।
6. वॉर म्युजियम और बायतु में शहीद स्मारक
बाड़मेर ने 1965 और 1971 के युद्ध में अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया। वीरता की कहानियां गांव-गांव में है, बावजूद इसके बाड़मेर में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां पर वीरता, शौर्य, पराक्रम और कण-कण में समाहित राष्ट्रभक्ति को कहीं प्रदर्शित किया जाए। पत्रिका ने इसके लिए बाड़मेर वॉर म्युजियम और बायतु में शहीद स्मारक की मांग को प्रबल तरीके से उठाया। वॉर म्युजियम के लिए प्रशासन ने जालिपा के पास में जमीन उपलब्ध करवा दी है,जहां पर सेना की मदद से टैंक व अन्य साजो सामाना रखा जाएगा। बायतु में शहीद स्मारक के लिए राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने जमीन उपलब्ध करवाकर यहां शहीद स्मारक स्थापित करने का वादा किया है। पत्रिका ने 1971 में युद्ध में शहीद हुए रेलवे के शहीदों के लिए भी जैसलमेर में लोंगेवाला में बने म्युजियम की तर्ज पर पर म्युजियम बनाने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई है, रेलवे ने इसका भी प्रस्ताव भेजा है।
Source: Barmer News