बाड़मेर पत्रिका.
थळ यानि बाड़मेर… थळ की धरती बरसों प्यासी रही है और पानी के लिए मीलों चलकर यहां के लोगों ने पसीना बहाया है। अब यही धरती हरा सोना उगलने लगी है। करीब 50 हजार कृषि कुओं से रबी की पैदावार अरबों में है तो खरीफ करीब 19 लाख हैक्टेयर में लहलहाने लगी है।
– आओ, जीमो बाड़मेरी बाजरे रो सोगरो
2030 तक बाड़मेर में बाजरा अनुसंधान केन्द्र तैयार हो जाएगा। पहला केन्द्र हैदराबाद में है, यह उसका उपकेन्द्र होगा। गुड़ामालानी के निकट प्रस्तावित है।
– 9 लाख हैक्क्टेयर में बुवाई
– 27 लाख किलोग्राम(3 मिलियन टन उपज)
– 6 अरब के करीब आमदनी
– 40 हैक्टेयर में बनेगा हिन्दुस्तान का दूसरा बाजरा अनुसंधान केन्द्र
– 2023 में पोषक अनाज में बाजरा रहेगा शामिल
जीरा….जीव री जड़ी
जीरो जीव रो बैरी ने मत बावो म्हारा परण्या जीरो। पचास साल पहले यह गाना गाया जाता था लेकिन अब रेगिस्तान में जीरा जीव री जड़ी बन गया है…बाड़मेर में 11 अरब का जीरा सालाना पैदा हो रहा है। जीरा मण्डी बाड़मेर में बननी है।
– 11 अरब की पैदावार
– 2 लाख 12 हजार हैक्टेयर में बुवाई
– 8 मिलियन टन उपज
– बुवाई में प्रदेश में पहले और उत्पादन में दूसरे स्थान पर
– एशिया का सबसे बड़ा हब है, 3.5 लाख हैक्टेयर यहां जीरा मण्डी
यह है अन्य फसलों का गणित
– 06 अरब का ईसबगोल
– 1 अरब 23 करोड़ की अनार
– 152 हैक्टेयर में खजूर
– 15 हजार हैक्टेयर ें रायड़ा
– 2.5 लाख हैक्टेयर में ग्वार
– 3 लाख हैक्टेयर में मोठ
– 70 हजार हैक्टेयर में मूूंग
2030
कृषि कुएं
55 हजार कृषि कुएं जिले में है। कृषि कनेक्शन को लेकर किसानों की परेशानी दूर हों तो यह संख्या 3 लाख तक पहुंच जाएगी। इससे सिंचित क्षेत्र एक लाख हैक्टेयर बढ़ जाएगा।
नहर:
5.15 प्रतिशत नहर से सिंचित हो रहा है, जो 2030 यह 11 फीसदी हो जाए तो 12 से 15 अरब रुपए नहरी काश्त से बाड़मेर को मिलेगी और रेगिस्तान का सिंचित क्षेत्र का 12 प्रतिशत क्षेत्र भी बढ़ जाएगा।
मूल्य संवद्र्धन एवं प्रोसेसिंग प्लांट
अभी हम जीरा बेच रहे है,मूल्य संवद्र्धन और प्रोसेसिंग हों तो तीन गुणा किसान की आमदनी बढ़ जाएगी। बाड़मेर की अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग और मार्केटिंग की पहचान बनेगी।
डेयरी सेक्टर बढाया जाए
कृषि के साथ में डेयरी भी जुड़ा हुआ है। बाड़मेर में करीब 55 लाख पशुधन है जो राज्य में सर्वाधिक है। गुजरात को पीछे छोड़कर बाड़मेर डेयरी में आत्मनिर्भर हो सकता है। अभी 40 लाख लीटर प्रतिदिन दूध उत्पादन है जो 2030 तक 100 लाख लीटर प्रतिदिन बढ़ जाएगा।
प्रतिव्यक्ति आय
– 1,41 102 प्रतिव्यक्ति आय सालाना बाड़मेर
– 5 लाख प्रति व्यक्ति आय का है 2030 तक लक्ष्य
– 4.75 लाख कृषक है जिले में
– 3.5 लाख हैक्टेयर है सिंचित क्षेत्र
– 60 प्रतिशत पुरुष
-40 प्रतिशत महिलाएं
यह भी होना चाहिए
– कृषि कॉलेज बाटाडू (बायतु) में अभी स्वीकृत हुआ है। 2030 तक बाड़मेर में 03 कॉलेज कृषि के होने चाहिए। 02 पशुपालन के और 03 अनुसंधान संस्थान की जरूरत है।
– कृषि विज्ञान केन्द्र अभी दांता व गुड़ामालानी में है जो 2020 तक 05 हों तो जल्दी यह पहुंच जाएगा।
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इंदिरा-नमज़्दा संगम का इंतजार
जिले में नमज़्दा नहर का पानी अब रामसर तक पहुंचा है और इधर इंदिरा गांधी नहर का कायज़् भी पूरा होना है। यदि दोनों नहरों पर कायज़् होता है तो इंदिरा-नमज़्दा का संगम रेगिस्तान में 100 अरब की फसलों का जादुई आंकड़ा पार करवा देगा। आथिज़्क उन्नति में सीधा फायदा इससे पहुंचेगा।
पत्रिका को शुभकामनाएं
राजस्थान पत्रिका के बाड़मेर-जैसलमेर संस्करण को स्थापना दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। कृषि के क्षेत्र में बाड़मेर के धरतीपुत्रों की मेहनत का रंग दिख रहा है। बाड़मेर में बाजरा अनुसंधान केन्द्र खोल रहे है। जीरा मण्डी पर कायज़् हो रहा है। कृषि को लेकर बड़ी योजनाएं होने से किसान तरक्की कर रहे है।- कैलाश चौधरी, केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री
Source: Barmer News