जोधपुर. शरद पूर्णिमा मंगलवार को मनाई जाएगी। पंचांग भेद की वजह से कुछ जगहों पर 20 अक्टूबर को भी शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही शरद पूर्णिमा कहा जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आकाश से चन्द्रमा अमृत वर्षा करते है। श्रीमद भागवत में भगवान कृष्ण की ओर से शरद पूर्णिमा को ही महारास की रचना का वर्णन मिलता है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रकिरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं। पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि चंद्रमा के औषधीय गुणों से युक्त किरणें पडऩे से खीर भी अमृत के समान हो जाती है।
लक्ष्मी का होता है पूजन
इस दिन धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या कोजागरी लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से ही शरद ऋ तु की शुरुआत माना जाता है। आर्थिक संपदा के लिए शरद पूर्णिमा को रात्रि जागरण का विधान शास्त्रों में बताया गया है। यही कारण है कि इस रात को, को-जागृति यानी कोजागरा की रात भी कहा गया है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में जो भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी और उनके वाहन की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है। ज्योतिष अनीष व्यास ने बताया इस दिन इन्द्र और महालक्ष्मी पूजन कर घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजन करना शुभ होता है।
शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि आरंभ-19 अक्टूबर शाम 7 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त. 20 अक्टूबर को रात्रि 8.20 मिनट पर
Source: Jodhpur