रतन दवे
बाड़मेर पत्रिका.
यह गांव है पचपदरा…प्रदेश की पहली रिफाइनरी यहां निर्माणाधीन है। 43129 करोड़ की इस रिफाइनरी की लागत अब 75 हजार करोड़ के करीब आएगी। इस गांव की जगमगाहट देखकर लगता है कि आने वाली कई दिवाली प्रदेश की खुशियां यहां से फूटेगी और आर्थिक संपन्नता कई धनतेरस राज्य का खजाना भरेगी।
करीब तीन साल पहले 16 जनवरी 2018 को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रिफाइनरी के कार्य का कार्य शुभारंभ किया तब कहा था कि यहां का मानचित्र ही बदल जाएगा। इसके कुछ माह बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह ड्रीम प्रोजेक्ट है और मैं खुद इसको देखूंगा..। रिफाइनरी के इस प्रोजेक्ट को लेकर कयास लगते रहे कि पता नहीं यह काम होगा या नहीं लेकिन आज आइए पचपदरा और देखिए…ताज्जुब होगा कि यह वही कस्बा है। सबकुछ बदल रहा है और इतनी तेजी से।
रिफाइनरी क्षेत्र में दिन-रात काम
रिफाइनरी के भीतरी क्षेत्र में नजर दौड़ाएं तो लोहे का भण्डार पड़ा है, जो यहां निर्मित हो रहे भवनों, पाइप लाइनों,वेयर हाऊस, पेट्रोलियम युनिट के लिए तैयार हो रहे निर्माण के लिए है। जहां नजर दौड़ाएं वहां पर विशाल मशीनों से इतने ही विशाल निर्माण तैयार हो रहे है जिनमें सैकड़ों मशीन और मैन पॉवर लगा है। रिफाइनरी का कार्य में लगे ठेकेदार राजेन्द्रसिंह चौहान कहते है कि अकल्पनीय और चुनौतीभरा काम है। यह हमारे लिए काम से ज्यादा बहुत बड़ा अनुभव है,जो अद्वितीय है।
बाहर जैसे नया शहर बस गया है
रिफाइनरी के बाहर नजर दौड़ाते ही लगता है कि एक नया शहर बसने लगा है। पचास से अधिक होटलों की इमारतें अब चार-पांच मंजिला खड़ी हो गई है। दो से तीन सौ कमरों की इन तैयार हो रही आलीशान होटलों के इर्दगिर्द ढाबे, दुकानें तो हजार से अधिक की संख्या में पहुंच गई है। जहां नजर दौड़ाएं वहां व्यापार है,यहां की आर्थिक तरक्की को दर्शाने लगा है।
बाड़मेर-बालोतरा जाम, जोधपुर व्यस्त
बाड़मेर और बालोतरा की सड़क तो शाम होते ही जाम हो जाती है और जोधपुर की सड़क इतनी व्यस्त कि लगता है वाहनों का रैला निकल पड़ा है। बालोतरा और पचपदरा के बीच में जितने भी मकान बने थे लगभग किराए पर है और खेतों व खाली जमीनों पर रातों-रात टीन-छप्पर डालकर भी मजदूरों से अच्छा किराए की कमाई होने लगी है।
Source: Barmer News