NAND KISHORE SARASWAT
जोधपुर. जिले के फलोदी क्षेत्र के खींचन में कुरजां के बाद पश्चिमी राजस्थान में आने वाले शीतकालीन प्रवासी पक्षियों में दूसरा सबसे बड़ा समूह ‘रफ पक्षियों का बन गया है। सर्दी की दस्तक के साथ ही बाड़मेर के बालोतरा क्षेत्र और जोधपुर के आसपास 200 से 500 की संख्या में अलग अलग समूह डेरा डाल चुके है। नवम्बर के प्रथम सप्ताह में ही ‘रफÓ पक्षियों की संख्या करीब पांच हजार से अधिक हो चुकी है।
स्पेन, डेनमार्क, स्वीडन, नार्वे के तटीय क्षेत्रों से पलायन कर शीतकालीन प्रवास पर आने वाले रफ पक्षियों का मुख्य आहार समुद्री पानी के डायटन, घोंघे और कृष्टेशिया माने जाते हैं, लेकिन थार के विभिन्न क्षेत्रों में यह पक्षी बाजरी, जवार, मोठ, गेहूं का भी सेवन करते हैं। नम भूमि पर दिखाई देने वाले इन पक्षियों की सर्वाधिक तादाद बालोतरा के शहीद भगतसिंह सर्किल मैदान में नजर आती है, जहां ये कबूतरों के साथ दाना चुगते दिख जाते हैं। जोधपुर में रफ पक्षियों का प्रिय पड़ाव स्थल उम्मेद भवन की तलहटी में स्थित छीतर तालाब बन रहा है।
गुजरात के समुद्री तट से पहुंचती है थार
भूरे मटमैले रंग की आकर्षक चिडिय़ा मुख्यत: छिछले पानी में भोजन तलाश करती है। गुजरात के समुद्री तट के पास बहुतायत में नजर आने वाले पक्षियों को थार का रेगिस्तानी क्षेत्र पिछले कुछ समय से रास आने लगा है। पक्षी वैज्ञानिक इसे थार रेगिस्तानी क्षेत्र में जैव विविधता उत्पादकता में बढ़ोतरी का संकेत मानते है।
नमकीन भूमि भी है कारण
थार तक ‘रफ पक्षियों के पहुंचने का प्रमुख कारण जमीन पर नमक के साथ छिछले पानी में घोंघें तथा अन्य मौलस प्रजाति के कीड़ों का आहार मिलना भी है। संख्यात्मक रूप से कुरजां के बाद सर्वाधिक तादाद रफ पक्षियों की है। शिकारी पक्षियों के हमलों से बचने के लिए ‘रफÓ सामूहिक रूप से तरह तरह के पैर्टन बनाते हैं।
-शरद पुरोहित, पक्षी व्यवहार विशेषज्ञ, जोधपुर
Source: Jodhpur