दिलीप दवे बाड़मेर. कम नामांकन के चलते सालों पहले बंद हुए सरकारी स्कू ल वापिस नहीं खुल पाए जिसके चलते सरकारी सम्पत्ति रफ्ता-रफ्ता जर्जर हो रही है तो इन विद्यालय में पढऩे को इच्छुक आसपास की आबादी के बच्चों को दूर जाकर पढऩा पड़ रहा है।
गौरतलब है कि २०१४ व १५ में जिले में कई स्कू लों को मर्ज कर बंद कर दिया था। इसमें से २३९ स्कू ल तो अभी भी तालों में कैद है। गौरतलब है कि २०१४-१५ में कम नामांकन का आधार मान कर ३३९ स्कू ल बंद हुए। विद्यालय बंद होने के बाद हर स्कू ल का लाखों रुपए का भवन भगवान भरोसे हो गया। इसके बाद सरकार ने पिछले दो-तीन साल में करीब सौ स्कू ल दुबारा शुरू किए लेकिन अभी भी जिले में २३९ स्कू ल तालों में ही कैद है।
जर्जर हो रहे भवन – पिछले सात साल से स्कू लों के ताले नहीं खुलने से भवन जर्जर हो रहे हैं। कई जगह छीणे टूट रही है और छत-दीवार से सीमेंट गिर रहा है। कमरों के दरवाजों को दीमक ने चट कर लिया है, शौचालय- स्नानघर, रसोईघर जर्जर हो चुके हैं।
अब तो लोग भी छोड़ चुके आस- पूर्व में जिन विद्यालयों को बंद किया गया था वहां के बाशिंदों को उम्मीद थी कि सरकार स्कू ल शुरू कर देगी लेकिन एेसा नहीं हुआ। जनप्रतिनिधियों से मांग के बावजूद स्कू ल शुरू नहीं हुए तो अब ग्रामीण भी आस छोड़ चुके हैं।
जल्द शुरू हो सभी स्कू ल- जो भी स्कू ल बंद है वे फिर से शुरू होने चाहिए। सरकार यहां आंगनबाड़ी केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र या अन्य विभाग के साथ सामुदायिक सभा भवन की स्वीकृति कर इनका उपयोग भी ले सकती है। फैसला जल्द हो तो मरम्मत कर इनका उपयोग हो सकता है। ग्राम पंचायतों को भी हैंड ओवर कर दिया जाए तो उपयोग में आ सकते हैं।- हिंदुसिंह सोढ़ा, जिलाध्यक्ष राजस्थान सरपंच संघ बाड़मेर
कई जगह बंद- कई जगह स्कू ल शुरू किए गए हैं लेकिन कई विद्यालय बंद है। वैकल्पिक व्यवस्था या हैंड ओवर का मामला उच्च स्तर का है।- अमरदान चारण, एसीबीईओ शिव
Source: Barmer News