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जोधपुर. पश्चिमी राजस्थान या पूरे देश के हालात देखे तो किडनी कैंसर के केस कम है। वहीं तुलनात्मक पश्चिमी देशों में अधिक लोगों को किडनी कैंसर हो रहा है। जबकि भारत में जिन्हें किडनी कैंसर हो रहा है, उनमें लक्षण 6 वर्ष पहले सामने आ रहे हैं। कई लोगों को जागरूकता के अभाव में पता तक नहीं लगता हैं कि उन्हें किडनी में कैंसर है। ये बात एम्स जोधपुर के यूरोलॉजी विभाग के रिसर्च में सामने आई है। कई अन्य मरीज व्याधियों के चलते दम तोड़ देते हैं। ये शोध यूरोलॉजी विभाग के डॉ गौतमराम चौधरी, डॉ लिखितेश्वर पल्लगनी, डॉ हिमांशु पांडे, डॉ विजय के एस मद्दुरी, डॉ महेंद्रसिंह, डॉ प्रतीक गुप्ता,डॉण् गौरव, पैथॉलॉजी विभाग से डॉ आस्मा, डॉ मीनाक्षी व रेडीएशन ऑंकॉलॉजी विभाग से डॉ पुनीत पारीक ने सम्मिलित होकर किया। शोध संरक्षक एम्स निदेशक डॉ संजीव मिश्रा रहे। यूरोलॉजी विभाग ने शोध विभागाध्यक्ष डॉ. अर्जुनसिंह संदू के निर्देशन में पूरा किया।

डॉ गौतम राम चौधरी ने कहा कि एम्स के यूरोलॉजी विभाग में 142 किडनी कैंसर के मरीज़ों पर की गई शोध में पाया गया कि अपने यहां पश्चिमी देशों की तुलना में किडनी कैंसर कम पाया जाता है। लेकिन 6 वर्ष पहले कैंसर बन जाता है। शुरुआती अवस्था में लक्षण नहीं होने के कारण 55.70 प्रतिशत मरीज़ों में निदान आकस्मिक तरीके से होता है, जब मरीज़ कोई अन्य कारण के लिए सोनोग्राफ्र ी या सीटी स्कैन करवाता है।

एक तिहाई मरीज पहुंच रहे शुरुआती अवस्था में

स्टडी में पाया गया कि ऐसे मरीज़ एक तिहाई ही थे, जो मरीज शुरुआती अवस्था में डॉक्टर के पास पहुंचे। उनको सिर्फ़ कैंसर ग्रस्थ किडनी निकाल कर निजात दिलाई गई। 37 प्रतिशत मरीज में मोटापा,ब्लड प्रेशर तथा धूम्रपान किडनी कैंसर के मुख्य कारण होते है। स्टडी में यह भी पाया गया कि जिन मरीज़ों में बीमारी कम उम्र में हुई, उनका स्टेज अपेक्षाकृत ज़्यादा था तथा टिश्यू जांच भी अलग मिली।

Source: Jodhpur

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