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गेहूं से महंगी बिक रही जौ की फसल
गत वर्ष से दुगने हुए भाव, उत्साहित नजर आ रहे किसान

-पुराना स्टॉक नहीं होने व रूस, यूक्रेन -इंडोनेशिया से आयात नहीं होने से भी असर

खारिया मीठापुर (जोधपुर) . रबी का सीजन किसानों के लिए अच्छा रहा है। पहली बार जौ के भाव में रिकॉर्ड तेजी आई है। गत साल जौ के भाव करीब 16 सौ रुपए प्रति क्विंटल थे जो इस बार बढ़कर 3000 से 3100 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं ।

जौ के भावों में उछाल के कारण पुराना स्टॉक नहीं होना बताया जा रहा है। वहीं रूस, यूक्रेन -इंडोनेशिया से आयात नहीं होने से भी असर पड़ा है। जौ के कुल उत्पादन का 70 फीसदी बीयर बनाने के काम व 30 प्रतिशत पशु आहार बनाने और औषधीय काम में लिया जाता है।

देश में सर्वाधिक जौ उत्पादन में राजस्थान दूसरे स्थान पर है। इस बार प्रदेश में 3.10 लाख हैक्टेयर लक्ष्य के मुकाबले 3, लाख 16 हजार 612 हैक्टेयर क्षेत्र में जौ की बुवाई हुई है । सीजन के शुरू में ही अच्छा भाव होने से मार्च में ही मंडियों में जौ की बंपर आवक शुरू हो गई थी। बिलाड़ा मंडी में 3000 रुपए प्रति क्विंटल जौ के भाव रहे।

जौ के फायदे

डॉ. के बी गर्ग के अनुसार जौ का दलिया खाने से बढ़ते वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। पाचन शक्ति को बढ़ाने के साथ ही कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में भी जौ का दलिया फायदेमंद होता हैं। हड्डियों और दांतों के लिए अच्छा है।टाइप-2 डायबिटीज की समस्या से राहत पाने में भी जौ का आटा लाभकारी है।

शराब बनाने वाली कंपनियों से आ रही है डिमांड

माल्ट कारोबारियों का कहना है कि जौ के थोक भावों में तेजी की बड़ी वजह यह है विदेश से आयात कमजोर पड़ गया है। वहीं जौ का स्टॉक भी पिछले साल के मुकाबले महज 15 फीसदी ही माना जा रहा है।

राजस्थान में इस बार जौ की फसल की बुवाई बहुत कम हुई है। इस कारण गेहूं से ज्यादा महंगा जौ बिक रहा है। बीयर कम्पनियों को जौ की जरूरत है। मांग के अनुरूप पैदावार नहीं होने से जौ के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।

बीयर और शराब बनाने वाली कंपनियों द्वारा जौ की खरीद की जा रही है। जौ के दामों में उछाल घरेलू डिमांड की वजह से नहीं है। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध से शराब निर्माता अब रूस पर प्रतिबंध के कारण वहां से जौ नहीं खरीद रहे हैं और आपूर्ति कम होने से भाव बढ़ गए हैं।

इन्होंने कहा

मांग और पूर्ति के हिसाब से जिंस के भाव तय होते हैं। इस समय मंडियों में जौ की अच्छी मांग बनी हुई है । मंडियों में खुले ऑक्शन से किसानों से जिंसों की खरीद की जा रही है। इससे किसानों से किसी तरह का भेदभाव नहीं होता। पारदर्शिता से खुली बोली में माल बिकने से किसानों को फायदा हो रहा है।

रामसिंह सिसोदिया, सचिव कृषि उपज मंडी, बिलाड़ा

Source: Jodhpur

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