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जोधपुर।
वाहनों के लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया सरल व पारदशीZ बनाने के उद्देश्य से प्रादेशिक परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में बना ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रायल ट्रैक पर तकनीकी खामियाें की वजह ट्रायल प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। इस वजह से ट्रायल पर टेस्ट देने आने वाले आवेदकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेक का निर्माण राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम (आरएसआरडीसी ) ने किया है।

नई प्रणाली से ट्रायल लेने के लिए तैयार ट्रेक पर सेंसर, सीसीटीवी कैमरों, सिग्नल प्रणाली में तकनीकी खराबी होते ही सही ट्रायल नहीं हो पाती। इस वजह से ट्रैक पर अपने वाहनों का टेस्ट देने के लिए आने वाले आवेदकों को आधुनिक तरीक से टेस्टिंग नहीं हो पाती।
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4 प्रकार के टेस्ट का प्रावधान
– पहले टेस्ट में यातायात नियमों की पालना करते हुए 8 का अंक बनाना जरूरी होगा

– दूसरे टेस्ट में अंग्रेजी के एच अक्षर की तरह गाड़ी चलानी पडेगी

– तीसरे टेस्ट में गाड़ी पार्क करके दिखानी होगी
– चौथे टेस्ट में गाड़ी चढ़ाते समय पीछे नहीं खिसकनी चाहिए।

धांधली रोकने के लिए बनाया आधुनिक ट्रैक
परिवहन विभाग की ओर से यातायात नियमों की पालना नहीं करके भी ड्राइविंग लाइसेंस लेने की व्यवस्था पर रोक लगाने व पारदर्शिता से ट्रायल कराने के लिए तकनीकी प्रक्रिया को अपनाते हुए ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रायल ट्रैक बनाया गया। जिसमें ट्रैक पर ट्रायल के बाद परिणाम जारी करने की व्यवस्था है। अन्य तकनीकी कार्य कंप्यूटर के माध्यम से रखे गए है , इससे ट्रायल परिवहन निरीक्षक से नहीं बल्कि कम्प्यूटर से ली जाएगी, लेकिन तककीकी खामियों से एकबारगी काम रुक जाता है व ऑटोमेटेड प्रक्रिया प्रभावित होती है।


टेक्निकल अपडेशन के दौरान कुछ समय तक कार्य प्रभावित होता है। कुछ समय पूर्व ट्रैक पर तकनीकी खामियों की शिकायत आई थी, जिस पर तकनीकी एक्सपर्ट को बुलाकर दुरस्त करवा दिया गया। अब भी ऐसी कुछ समस्या है, तो जांच करवा लेंगे।

रामनारायण गुर्जर, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी
जोधपुर

Source: Jodhpur

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