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महेन्द्र त्रिवेदी
बाड़मेर. परिवार नियोजन के लिए अपनाए जाने तरीके में महिला नसबंदी सर्वाधिक होती है। जबकि विशेषज्ञ यह मानते हैं कि पुरुष नसबंदी करना महिलाओं के मुकाबले काफी आसान है, लेकिन विभाग के प्रयास यहां पूरे होते नहीं दिखते हैं और पुरुष नसबंदी का आंकड़ा काफी कम रहता है। बाड़मेर की ही बात करें तो यहा पिछले दस सालों को ही देख लिया जाए तो एक भी साल में यह आंकड़ा 50 तक नहीं पहुंच पाया है। जबकि महिलाओं की नसबंदी हजारों में होती है।
पुरुष नसबंदी के केवल एक जिले के हालात नहंी है, पूरे प्रदेश में ही ऐसा ही है। महिलाओं के मुकाबले में पुरुष नसबंदी से दूर भागते हैं। जबकि सामान्यत: नसबंदी के लिए लगने वाले कैम्प में महिलाएं ही नजर आती है। विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उनकी टीमें जितनी महिलाओं को नसबंदी के लिए प्रेरित करती है, ठीक उसी तरह पुरुषों को भी इसके लिए प्रेरित किया जाता है। लेकिन फिर भी पुरुष नसबंदी के लिए आगे नहीं आते हैं।
254 पुरुष नसबंदी केस में लगे 10 साल
बाड़मेर जिले में पिछले दस साल में देखा जाए तो केवल एक बार यह आंकड़ा 2013-14 में 39 केस तक पहुंचा था। इसके अलावा कभी भी दस सालों में इस अंक को नहीं छू पाया। जबकि साल 2021-22 में फरवरी तक के आंकड़ों में पुरुष नसबंदी के केवल 8 केस ही हुए है। हालांकि यह आंकड़ा विभाग ने प्रोविजनल ही बताए हैं। जब 11 महीनों में ही दस तक नहीं पहुंच पाए तो एक महीने में यह कितना बढ़ पाएगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बाड़मेर जिले में दस साल में 254 पुरुष नसबंदी हुई है।
मिथक आ रहा है आड़े
जानकारों का मानना है कि पुरुष नसबंदी इसलिए नहीं करवाते हैं उनमें भय होता है इससे कमजोरी आ सकती है। जबकि यह केवल मिथक है। जिन पुरुषों ने नसबंदी करवाई है, ऐसे केस सभी के सामने है। यह पुरुषों में केवल भय है, जिसे दूर करके ही पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित किया जा सकता है और परिवार नियोजन कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा सकता है।
बाड़मेर: किस साल कितनी नसबंदी
साल महिला पुुरुष
2012-13 9071 36
2013-14 8744 39
2014-15 10284 36
2015-16 9136 18
2016-17 9615 15
2017-18 8084 13
2018-19 9565 20
2019-20 10006 37
2020-21 9925 29
2021-22 * 1813 08
(2021-22* फरवरी तक के प्रोविजनल आंकड़े)

Source: Barmer News

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