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बाड़मेर.
रोजगार की फसल…यह भला क्या है? वो भी रेगिस्तान में जहां लोग सालों तक काम धंधा पाने के लिए पलायन होता रहा और दुबई तक रोजी रोटी की तलाश में गए है। असल में यह नया रेगिस्तान है जहां गांवों में आए बड़े प्रोजेक्ट ने यहां रोजगार की संभावनाओं को बढ़ा दिया। प्रदेशभर ही नहीं देश-विदेश से यहां आकर लोग अब नौकरी कर रहे है।तेल क्षेत्र में बाड़मेर में आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड, कनाडा से जुड़े लोगों सहित देशभर के तेल क्षेत्र के लोग यहां छोटे-छोटे गांवों में पहुंचकर कायज़् कर रहे है और इनके साथ पूरी टीम है। इस क्षेत्र में आए लोगों के पैकेज भी 6 लाख से एक करोड़ के पार तक के है।
गांव-पचपदरा
प्रोजेेक्ट-रिफाइनरी
लागत-43129 करोड़
18 जनवरी 2018 से कायज़् प्रारंभ हुआ है और यहां पर रिफाइनरी पर 15 हजार करोड़ रुपए व्यय हो गए है। गांव की तस्वीर ही बदल गई है। दो हजार से अधिक दुकानें, 50 से अधिक होटल और अन्य प्रतिष्ठान खड़े हो गए है। यहां मकानों का किराया 40 से 50 हजार रुपए मासिक मिल रहा है और जमीनों की कीमत आसमान छू रही है। 20 हजार लोग रिफाइनरी में कायज़् कर रहे है। प्रदेश के सबसे मेगा प्रोजेक्ट के इस गांव में दरवाजे-खिड़कियां खोलकर विकास आ गया है।
गांव- बुड़ीवाड़ा, जागसा
पैदावार– अनार
सालाना- 500 करोड़
2010 में यहां अनार पैदावार शुरू हुई और अब 1800 हैक्टेयर में अनार है। किसानों को इस फसल ने निहाल कर दिया है, कल तक जो साहूकारों के घर तकाजा करते थे अब खुद ही उन्नत किसान है। इनके घर-परिवार में समृद्धि है। बुड़ीवाड़ा गांव में फैंसी, शैलून, हाडज़्वेयर, मोटर रिवाई डिंग दुकानें और छोटी-बड़ी दस निजी म ण्डियां हैंपहले रबी की गेहूं, सरसों,अरण्डी, जीरा आदि फसलों से सालाना न्यूनतम 3 तो अ धिकतम 7 लाख रुपए की आय होती थी। अनार की वजह से घरों के आगे लग्जरी गाडिय़ा है और 5000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
गांव-भादरेस
प्रोजेेक्ट-पॉवर प्रोजेक्ट
क्षमता-1080 मेगावाट
2009-10 में भादरेस गांव में यह लिग्राइट आधारित पॉवर प्लांट प्रारंभ हुआ और यहां 3000 लोगों को रोजगार मिल रहा है। पॉवर प्लांट ने भादरेस गांव के विकास में भी योगदान दिया। पॉवर प्लांट और कोयले की माइन्स से जुड़े लोगों से होने वाली करोड़ों की आय राज्य के राजस्व को भी बढ़ा रही है।
गांव- नागाणा
प्रोजेेक्ट-मंगला प्रोसेसिंग टमिज़्नल
लागत-15000 करोड़
बाड़मेर तेल क्षेत्र से क्रूड ऑयल यहां पहुंचता और यहां से पाइप लाइन के जरिए रिफाइनरी तक। 2009 में तेल उत्पादन प्रारंभ हुआ और यहां पर 7000 लोगों को ऑयल क्षेत्र में सीधा रोजगार मिल रहा है। नागाणा सहित आसपास के ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर के लिए अब पलायन की दरकार नहीं रही।
बदलाव क्या हुआ?
– मकानों का किराया 40 से 50 हजार रुपए मासिक
– जमीन की कीमत लाखों रुपए बीघा तक पहुंची
– गांवों में भी मॉल, होटल्स और मंडिया खुलने लगी
– किसानों के बेटे-बेटियां बनने लगे इंजीनियर, डॉक्टसज़् और अफसर
– गांवों में सड़क, बिजली,पानी की सुविधाएं पहुंची तत्काल
– लग्जरी गाडिय़ां, बंगले और आथिज़्क संपन्नता से रहन-सहन में बदलाव
पत्रिका व्यू-एशिया के विकसित गांव बने
– मास्टर प्लान बनाकर विकास करे
– गांवों में पाकज़्, बिजली,पानी, सड़क, स्कूल,चिकित्सा और बसावट की बने योजना
– एशिया के विकसित गांवों की श्रेणी में ले
– डेयरी, कृषि, पशुपालन और अन्य प्रोजेक्ट जोड़े जाए
– ग्राम पंचायत हों आत्मनिर्भर

Source: Barmer News

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