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दिलीप दवे
बाड़मेर . प्रदेश के सरकारी स्कूलों के शिक्षक खुद घंटी बजाए, विद्यालयों में काम निपटाए या फिर बच्चों से काम करवाए यह स्थिति है। क्योंकि 75 फीसदी विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद खाली है। नियमानुसार बच्चों से काम करवाया नहीं जा सकता और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं होने पर शिक्षक कार्य करवाएं तो कैसे यह समस्या आ रही है।
शिक्षा विभाग के विद्यालयों में अध्यापन व शैक्षणिक कार्यों के लिए विभिन्न श्रेणी के शिक्षकों के पदों के साथ साथ विभिन्न प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्य होते हैं जिसके लिए गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की जरूरत होती है। इसमें खेलकूद के लिए शारीरिक शिक्षक, लिपिकीय कार्यों के लिए वरिष्ठ सहायक व कनिष्ठ सहायक, पुस्तकालय के लिए लाइब्रेरियन, प्रयोगशाला के लिए प्रयोगशाला सहायक और स्कूल में अन्य सहायक कार्यों के लिए चतुर्थ श्रेणी सहायक कर्मचारी की जरूरत होती है।

जिसका कार्य होता है स्कूल खुलने पर घण्टी बजाने से लेकर सफाई करना, पानी भरना व छुट्टी होने पर स्कूल बंद करना। लेकिन वर्तमान में प्रदेश के शिक्षा विभाग में केवल उच्च माध्यमिक विद्यालयों तक ही ये पद सीमित रह गया है। उसमें भी 75 फीसदी पद रिक्त चल रहे हैं जिसके कारण विद्यालय में ये सभी कार्य या तो विद्यार्थियों को या स्वयं शिक्षकों को करने पड़़ते हैं। छोटे विद्यालयों में तो ये कार्य शिक्षकों को स्वयं करने पड़ते हैं। वहीं बड़ी कक्षाओं के बच्चों से भी कार्य करवाना अध्यापकों की मजबूरी हो गई है।

सभी विद्यालयों में हो चपरासी के पद और भर्ती भी निकले
प्रदेश के सभी विद्यालयों में सहायक कर्मचारियों के पद स्वीकृत किए जाने चाहिए । लम्बे समय से सहायक कर्मचारियों के रिक्त चल रहे पदों को भरने के लिए सीधी भर्ती निकाली जानी चाहिए। ताकि विद्यालयों में सहायक कार्यो को करने में आसानी रहे।
बसन्त कुमार जाणी, जिलाध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा

Source: Barmer News

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