वनविभाग चौकी पर अव्यवस्थाओं का आलम
कर्मचारियों की लगातार गैर मौजूदगी घायल जीवों के लिए बनी अभिशाप
पीपाड़ सिटी (जोधपुर). उपखंड क्षेत्र की एकमात्र वन्यजीव सुरक्षा चौकी पर अव्यवस्थाओं एवं अधिकारियों की अनदेखी से घायल वन्यजीव समय पर इलाज के अभाव में कई बार दम तोड़ रहे हैं। कहने को तो चौकी पर लगे सरकारी बोर्ड पर विभाग द्वारा चार कर्मचारियों की नियुक्ति दर्शाई गई है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। वर्तमान में हालात ये है कि महीने भर में एक या दो बार ही कुछ समय के लिए चौकी के ताले खुले मिलते हैं। चार कर्मचारियों में से एक भी चौकी में मौजूद नही मिलता है।
कर्मचारियों की लगातार गैर मौजूदगी से चौकी परिसर शाम होते ही शराबियों की ऐशगाह बन जाती है। अधिकारियों की अनदेखी से क्षेत्र की एकमात्र वन्यजीव सुरक्षा चौकी पर घायल वन्यजीवों को लेकर आने वाले वन्यजीव प्रेमियों को बेरंग लौटना पड़ता है। इस सम्बंध में जब भोपालगढ़ रेंजर से बात की जाती है तो वो हर बार चौकी पर नियुक्त कर्मचारी के बाहर होने की जानकारी उनके पास नहीं होने की बात कहकर व्यवस्था सुधारने के आश्वासन ही देते हैं।
साथीन तथा इसके आसपास के कई गांवों में वन्यजीव बड़ी तादाद में विचरण करते है। ऐसे में आवारा श्वानों से बचाए,सड़क दुर्घटना में घायल हुए एवं बीमार वन्यजीवों को यहां चौकी पर लाया जाता है लेकिन चौकी पर हर समय ताले जड़े मिलते है। समय पर इलाज के अभाव में कई जीव दम तोड़ देते हैं। वन्यजीव चौकी में बना पानी का कुंड भी खाली ही पड़ा है। तपती गर्मी में पानी की आस में आने वाले वन्यजीवों को प्यासा ही भटकना पड़ रहा है। चौकी परिसर में बिगड़ी व्यवस्था से वन्यजीव प्रेमियों में वनविभाग के प्रति गहरा आक्रोश है।
रेस्क्यू सेंटर में गोबर एकत्रित कर रहे ग्रामीण
मुख्य मार्ग पर स्थापित चौकी परिसर के आसपास में बेसहारा गायों तथा अन्य पशुओं का आना जाना लगा रहता है। कुछ ग्रामीणों द्वारा चौकी परिसर में रेस्क्यू सेंटर के अंदर गोबर एकत्रित किया जा रहा है। सरकार द्वारा लाखों रुपए लगाकर घायल एवं बीमार जीवों के लिए बनाए रेस्क्यू सेंटर में अब गोबर का ढेर जमा पड़ा है। कर्मचारियों की लापरवाही का ही ये नतीजा है कि रेस्क्यू सेंटर पर भी गोबर का ढेर डालकर अज्ञात लोगों ने कब्जा जमा लिया है।
वन्यजीवों को गोशाला में मिल रहा है उपचार
साथीन चौकी पर ताले जड़े मिलने पर घायल वन्यजीवों को नजदीक में स्थित द्वारकाधीश गोशाला पहुंचाया जाता है। भामाशाहों एवं जीव प्रेमियों के सहयोग से संचालित गोशाला में घायल वन्यजीवों को विशेषज्ञ चिकित्सकों के सानिध्य में उपचार एवं पौष्टिक चारा देकर उनकी जान बचाई जा रही है। गोशाला समिति ने बताया कि प्रतिमाह उनके पास कई वन्यजीव पहुंचाए जाते हैं। पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर उन्हें उसी क्षेत्र में उन्हें पुनः छोड़ दिया जाता है।
शिकायत पर कोई कार्यवाही नही हुई
वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर पर घायल जीवों को लेकर पहुंचने पर वहां हर समय ताले जड़े मिलते हैं। इस मामले में जनवरी माह में राजस्थान संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई गई लेकिन विभाग द्वारा झूठा जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि चौकी में सभी कर्मचारी कार्यरत हैं। जबकि वहां एक भी कर्मचारी उपस्थित नहीं मिलता है।
-लक्ष्मणसिंह विश्नोई, वन्यजीव प्रेमी
कर्मचारी वन्यजीव गणना में गए
चौकी से आज कर्मचारी वन्यजीव गणना से जुड़े आंकड़े जमा करवाने भोपालगढ़ आए हुए हैं। चौकी परिसर रेस्क्यू सेंटर परिसर में गोबर डालकर कब्जा जमाने के बारे में आज ही पता करवाता हूं।
-बलदेवराम सारण, रेंजर भोपालगढ़
Source: Jodhpur