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बाड़मेर पत्रिका.
सत्तर साल की दरियाकंवर। पाकिस्तान के सिंध इलाके में रहती है। पांच बेटियां और एक बेटा बाड़मेर(भारत)में है। 2016 में भारत मिलने आई थी,तब सोचा था कि जिंदगी के आखिरी वक्त में 70 पार होते ही भारत चली जाऊंगी और फिर जिंदगी का क्या भरोसा? 2018 में पाकिस्तान ने वीजा दे दिया और वह मुनाबाव पहुंची तो यहां उसको कहा तुम तो ब्लैक लिस्ट हों? 70 साल की दरिया बोली मेरा गुनाह-उत्तर था मां तुम भारत में अपनी बेटियों के साथ पहले गई थी,जब ज्यादा रह गई। दरिया गिड़गिड़ाती रही..बेटा,बेटियों ने जिद्द कर ली थी, गुनाह हो गया। जाने दे,अब ज्यादा नहीं रहूंगी,लेकिन एक न सुनी। तब से दरिया हर दिन भारत की ओर देखती है, बार-बार वीजा लगाती है लेकिन उसे भारत आने की इजाजत नहीं मिल रही। आंसू बहाते हुए कहती है..जीते जी एक बार..भारत मुझे आने दे, तूं तो बड़ा भला मुल्क है।
पाकिस्तान के 900 हिन्दू परिवारों को भारत में ब्लैक लिस्ट किया हुआ है और वे अब तड़प रहे है अपनों से मिलने के लिए। ऐसे ही है उदयसिंह पुत्र गुमानसिंह जो उमरकोट सनोई के रहने वाले है। दो भाई और बीवी, दो बेटियां और तीन बेटे भारत में रहते है और वो पाकिस्तान में। 2016 में परिवार से मिलने आए थे, बड़े दिनों बाद परिवार के बीच में आए तो थोड़े दिन और रुकने का मन हो गया। उदयसिंह बताते है कि उन्होंने इसके लिए वीजा अवधि बढ़ाने को राज्य सरकार को लिखा और यहां रुके रहे। जोधपुर से वापिस रवाना हो गए लेकिन 2018 में जैसे ही उन्होंने भारत आने का वीजा मांगा तो ब्लैक लिस्ट कहकर रोक दिया गया। अब वे अपने परिवार से नहीं मिल पा रहे है। उदयसिंह कहते है,तब ही सख्ती से कह देते कि ज्यादा रुके तो फिर आने नहीं देंगे। हम तीन-चार साल में एक बार आते है, तीन-चार माह परिवार के साथ रहकर चले जाते है, भारत इतना तो दिल बड़ा करे। पाकिस्तान के ही सिंध के रहने वाले हडंवंतङ्क्षसह, शक्तिसिंह और उनकी पत्नी को भी ब्लैक लिस्ट किया हुआ है। शक्तिसिंह के परिवार के चार बेटे व बेटियां यहां भारत में है। उनके बेटे का विवाह करना है और दुल्हन की तलाश भारत में ही होगी, क्योंकि पाकिस्तान में रिश्तेदारी का गौत्र नहीं है। शक्तिङ्क्षसह कहते है, हम तो दिल जोडऩे आना चाहते है, भारत हमारा दिल न तोड़े। ये रिश्ते ही तो है जो सबसे ऊपर है।

क्यों बंटे है यह परिवार
सवाल उठता है कि इतना दर्द है तो यह परिवार दो मुल्कों में क्यों बंटे है? जवाब है कि बंटवारे ने इन परिवारों को अलग कर दिया। जमीन जायदाद जहां थी परिवार वहां रह गए। फिर रिश्तेदारी का सवाल आया तो अपने गौत्र में शादियंा नहीं होती,लिहाजा भारत में बसे परिवारों को पाकिस्तान और पाकिस्तान में बसे परिवारों को भारत आना जाना जरूरी हो गया है।

धर्म परिर्वतन नहीं कर रहे
ये परिवार पाकिस्तान में जुल्म सहने के बावजूद भी इतने हिन्दूवादी है कि अपना धर्म नहीं बदल रहे है। गैर हिन्दू मुल्क में रहकर भी इन लोगों ने अपने वजूद को अभी तक नहीं खोया है। इसलिए ये भारत आना-जाना और रिश्तेदारी को बदस्तूर जारी रखे हुए है।

एक्सपर्ट व्यू
खोल दो थार का रास्ता
थार एक्सप्रेस रिश्तों की रेल रही है। यह रास्ता परिवारों को जोड़ता था। सिंध, उमरकोट और सांगड़ के लोगों की रिश्तेदारी बाड़मेर-जैसलमेर में सर्वाधिक है। इन परिवारों के लिए यह रास्ता भारत सरकार खोल दे। जब बाघा बॉर्डर खुला हुआ है तो थार एक्सप्रेस के लिए क्या मुश्किल है। यह तो शांत बॉर्डर है। यहां लोग रिश्ते निभाने आएंगे।– हिन्दूसिंह सोढ़ा, सीमांत लोक संगठन

Source: Barmer News

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