Posted on

बाड़मेर.
देश के अंतिम सरहदी बाड़मेर-जैसलमेर के हजारों ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन डीएनपी क्षेत्र में आने वाले सैकड़ों गांव आज भी 18वी सदी में जीने को मजबूर हैं।
बिजली, पानी,सड़क से लेकर जरूरत की प्रत्येक सुविधाएं प्रकृति पर आधारित हैं। सुबह सवेरे सौ मीटर गहराई से बेरियों से पानी सींच कर लाना, लकड़ी काटकर ईंधन की व्यवस्था, हाथ की चक्की (घरटी) से आटा पीसना, रात्रि चिमनी से रोशनी के साथ वर्षों निकाल दिए हैं।
बुजुर्ग ग्रामीणों का कहना है उन्होंने तो जैसे तैसे समय गुजार दिया है लेकिन हमारी भावी पीढ़ी बर्बाद हो रही हैं। क्या अभावों में जीना है हमारी नियति बन गई हैं।
डिजिटल इंडिया में सभी कार्य ऑनलाइन होने लगे हैं लेकिन डीएनपी क्षेत्र में अभी तक मोबाईल नेटवर्क ही नहीं पहुंचा है।
गर्मीमें हो जाते हैं विकट हालात:-
बाड़मेर जिले में तापमान 48 डिग्री पार गया है। सीमांत मरुस्थलीय इलाकों में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच रहा है। बेरियों का पानी सूखने लगा है। सड़कों के अभाव में अकाल राहत के टैंकर रेत में फंसकर रह जाते हैं। ट्यूबवेल खुदाई, बिजली लाईन व पाइपलाइन बिछाने पर रोक लगी होने से पेयजल संकट के साथ त्राहि त्राहि मच जाती हैं। सबसे ज्यादा इन दिनों पशुधन काल कवलित हो रहा है।

हम भी इस देश के नागरिक हैं। पिछले 74 वर्षों मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। सरकार नागरिकों की सुविधाओं के लिए प्रतिवर्ष प्रशासन शहरो के संग,प्रशासन गांवों के संग लगा कर आमजन को लाभान्वित कर रहा है तो कभी प्रशासन डीएनपी गांवों के संग भी चलाओ
हम भी हिंदुस्तान के नागरिक हैं।
– भूरसिंह सोढा
ग्रामीण सिरगुवाला
(डीएनपी प्रभावित गांव)

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *